श्री बालाजी मढोकमीत धाम
भारतीय संस्कृति में मानव जीवन के लक्ष्य भौतिक सुख तथा आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति के लिए अनेक देवी देवताओं की पूजा का विधान है जिनमें पंचदेव प्रमुख हैं। पंच देवों का तेज पुंज श्री हनुमान जी हैं। प्राचीन ग्रन्थों में वर्णित सात करोड़ मन्त्रों में श्री हनुमान जी की पूजा का विशेष उल्लेख है। श्री राम भक्त, रूद्र अवतार, सूर्य शिष्य, वायु पुत्र, केसरी, नन्दन, महाबल श्री बालाजी के नाम से प्रसिद्ध तथा माता अन्जनी के गर्भ से प्रकट हनुमान जी में पांच देवताओं का तेज समाहित हैं। बलशाली होने के फलस्वरूप इन्हें बालाजी की संज्ञा दी गई है। देश के प्रत्येक क्षेत्र में हनुमान जी की पूजा की अलग परम्परा है ,श्री सिद्धपीठ बालाजी महाराज मढोकमीत धाम उत्तर प्रदेश के औरैया जिले की बिधूना तहसील में स्थित है। बिधूना शहर से लगभग 8 किलोमीटर दूर,मढोकमीत धाम का परम पावन क्षेत्र स्थित है। जहाँ श्री सिद्धपीठ बालाजी महाराज का भव्य एवं विशाल मन्दिर स्थित है।श्री बालाजी की दैनिक परम्परागत भोग तथा पूजा.अर्चना की जाती है। श्री बालाजी महाराज की कृपा से भक्तजनों की मनोकामनाओं की पूर्ति के उपरांत यहां ध्वजा नारियल तथा छत्र आदि भेंट किए जाते हैं। कुछ श्रद्धावान भक्त भण्डारा आदि अर्पित करते हैं।कई अलग अलग प्रदेशो से से भक्तगण श्री बालाजी के दर्शनार्थ मढोकमीत धाम आते हैं। मंगलवार तथा शानिवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होती है।
श्री बालाजी मढोकमीत धाम के बारे में-
मंदिर का परिचय
भारतीय संस्कृति में मानव जीवन के लक्ष्य भौतिक सुख तथा आध्यात्मिक आनंद की प्राप्ति के लिए अनेक देवी देवताओं की पूजा का विधान है
क्लीक करेंमंदिर का इतिहास
सीकर के रुल्याणी ग्राम के निवासी पं. लछीरामजी पाटोदिया के सबसे छोटे पुत्र मोहनदास बचपन से ही संत प्रवृत्ति के थे। सतसंग और पूजन-अर्चन
क्लीक करेंअंजनी माता का मंदिर
सालासर में स्थित अंजनी माता का प्रसिद्ध मंदिर केवल राजस्थान ही नहीं पूरे भारत के श्रद्धालुओं का प्रमुख तीर्थस्थल है। श्री अञनी माता का मन्दिर सालासर धाम
क्लीक करेंमोहनदासजी की समाधि
मंदिर के सामने के दरवाजे से थोड़ी दूर पर ही मोहनदासजी की समाधि है, जहां कानीबाई की मृत्यु के बाद उन्होंने जीवित-समाधि ले ली थी। पास ही कानीबाई की भी समाधि है।
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